राजस्थान की जलवायु का वर्गीकरण | राजस्थान भूगोल के नोट्स
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राजस्थान की जलवायु का वर्गीकरण | राजस्थान सामान्य ज्ञान नोट्स |
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राजस्थान की जलवायु
- राज्य उपोषण कटिबंध में स्थित है।
- राजस्थान में अरावली पर्वत श्रेणियां ने राजस्थान को दो भागों में विभक्त कर दिया है।
i. पश्चिमी क्षेत्र मन
- यह अरावली का वृष्टि छाया प्रदेश होने के कारण अत्यंलप वर्षा प्राप्त करता है।
- यहां शुष्क जलवायु पाई जाती है।
ii. पूर्वी भाग
- अरावली के पूर्वी भाग में तापक्रम में एकरूपता अपेक्षाकृत अधिक आद्रता एवं सामयिक वर्षा देखने को मिलती है।
- इस प्रकार इस भाग में आद्र जलवायु पाई जाती है।
राजस्थान की जलवायु की विशेषताएं
- राज्य की लगभग समस्त वर्षा गर्मियों में दक्षिणी पश्चिमी मानसूनी हवाओं से होती है।
- शीतकाल में बहुत कम वर्षा उत्तरी पश्चिमी विक्षोभ से होती है, जिसे मावठ कहते हैं।
- वर्षा का वार्षिक औसत लगभग 58 सेमी है।
- वर्षा की मात्रा व समय अनिश्चित।
- वर्षा के अभाव मैं आए वर्ष भर अकाल व सूखे का प्रकोप रहता है।
- वर्षा का असमान वितरण है। दक्षिणी पूर्वी भाग में जहां वर्षा होती है वहीं उत्तरी पश्चिमी भाग में नगण्य वर्षा होती है।
राज्य की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक
- राज्य की अक्षांशीय स्थिति
- प्रचलित हवाएं
- समुंदर से दूरी
- महाद्वीपीयता
- पर्वतीय अवरोध व ऊंचाई
- समुद्र तल से ऊंचाई
जलवायु के आधार पर राज्य में मुख्यतः तीन ऋतु में पाई जाती है:
- ग्रीष्म ऋतु मार्च से मध्य जून तक
- शीत ऋतु नवंबर से फरवरी तक
- वर्षा ऋतु मध्य जून से सितंबर तक
- अक्टूबर-नवंबर में मानसून के प्रत्यावर्तन का समय होता है।
राज्य में कम वर्षा के कारण:
- बंगाल की खाड़ी का मानसून गंगा के मैदान में अपनी आद्रता लगभग समाप्त कर चुका होता है
- अरब सागर में आने वाली मानसूनी हवाओं की गति के समांतर ही अरावली पर्वत श्रेणियां हैं, अतः हवाओं के बीच अवरोध न होने से बिना वर्षा किए आगे बढ़ जाती है।
- मानसूनी हवाएं जब रेगिस्तान भाग पर आती है तो अत्यधिक गर्मी के कारण उनकी आद्रता घट जाती है, जिससे वे वर्षा नहीं कर पाती।
जलवायु प्रदेश
- जलवायु प्रदेश वे क्षेत्र विशेष है, जिनमें जलवायु के सभी तत्वों के लक्षण वर्णित क्षेत्र में समान्यता सम्मान रहते हैं।
- वर्षा, तापमान,वाष्पीकरण, वनस्पति आदि आधारों पर विभिन्न भूगोलवेत्ताओ राज्य के जलवायु प्रदेशों को विभाजित किया है।
भारतीय मौसम विभाग ने तापक्रम, वर्षा, आद्रता के आधार पर राज्य को निम्न जलवायु प्रदेशों में बांटा है :
i. शुष्क जलवायु प्रदेश( उष्णकटिबंधीय शुष्क जलवायु प्रदेश)
- इसके अंतर्गत जैसलमेर, बाड़मेर, दक्षिणी गंगानगर, हनुमानगढ़ तथा बीकानेर वह जोधपुर का पश्चिमी भाग।
- यहां औसत वर्षा 0-20 सेमी तथा औसत तापमान ग्रीष्म ऋतु में 34° से 40° सेल्सियस तथा शीत ऋतु में 12° से 16° सेल्सियस पाया जाता है।
- यह भाग प्राकृतिक वनस्पति रहित प्रदेश है।
ii. अर्धशुष्क जलवायु प्रदेश :
- इस क्षेत्र के अंतर्गत चूरू, गंगानगर, हनुमानगढ़, दक्षिणी बाड़मेर जोधपुर बीकानेर का पूर्वी भाग तथा पाली, जालौर, सीकर, नागौर हुआ झुंझुनू का पश्चिमी भाग।
- आैसत वर्षा 20° से 40° सेमी व औसत तापमान ग्रीष्म ऋतू में 30° से 36° सेल्सियस तथा शीत ऋतु में 10°से17° सेल्सियस होता है।
- वर्षा अनियमित, अनिश्चित व असमान होती है।
- कांटेदार झाड़ियां व घास की प्रधानता है कृषि व पशुपालन मुख्य कार्य।
iii. उपआद्र जलवायु प्रदेश :
- इसके अंतर्गत अलवर, जयपुर, अजमेर, पाली, जालौर, नागौर झुंझुनू का पूर्वी भाग तथा टोंक भीलवाड़ा सिरोही का उत्तरी पश्चिमी भाग।
- औसत वर्षा 40-60 सेमी तथा औसत तापमान ग्रीष्म ऋतु में 28°-34° सेल्सियस तथा शीत ऋतु में12°18° सेल्सियस रहता है।
- पतझड़ वाली वनस्पति जैसे नीम बबूल आम आवंला खेर हरड आदि वृक्ष पाए जाते हैं। यहा जो चना गेहूं सरसो मूंगफली आदी की खेती होती है।
iv. आद्र जलवायु प्रदेश :
- एस क्षेत्र के अंतर्गत राज्य का पूर्वी एवं दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र शामिल है।
- औसत वर्षा60 -80 तथा औसत तापमान ग्रीष्म ऋतु में32°35° सेल्सियस तथा शीत ऋतु में 14°-17° सेल्सियस होता है।
- संघन वनस्पति पाई जाती है।
- नीम, इमली, आम ,शहतूत गुलाब, जामुन ,पीपल बरगद बैर, धोकड़ा आदि वृक्ष बहुतायत से मिलते हैं।
v. अति आद्र जलवायु प्रदेश:
- इस जलवायु प्रदेश में दक्षिणी पूर्वी कोटा बारां झालावाड़ बांसवाड़ा प्रतापगढ़ डूंगरपुर, दक्षिणी पूर्वी उदयपुर में माउंट आबू क्षेत्र है
- औसत वर्षा 80-150 सेमी तथा औसत तापमान ग्रीष्म ऋतु में 30°से34° सेल्सियस तथा शीत ऋतु में 12° से 15° सेल्सियस रहता है।
- इस प्रदेश मे वर्षा का औसत सर्वाधिक रहता है।
- घनी मानसूनी सवाना प्रकार की वनस्पति पाई जाती है।
- आम शीशम सागवान शहतूत जामुन खेर नीम पीपल बरगद आदि वृक्ष पाए जाते हैं।
कोपेन के वर्गीकरण के आधार पर राज्य के जलवायु प्रदेश
- प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता डॉबर व्लादिमीर कोपेन ने वनस्पति के आधार पर विश्व को अनेक जलवायु प्रदेश में विभाजित किया है।
उनके वर्गीकरण के आधार पर राज्य को निम्न जलवायु प्रदेश में बांटा जा सकता है –
1. Aw(या उष्णकटिबंधीय आद्र) जलवायु प्रदेश :
- बांसवाड़ा जिला एवं डूंगरपुर जिले का दक्षिणी भाग।
- वार्षिक औसत वर्षा 80 सेमी या अधिक।
- ग्रीष्म ऋतु मैं औसत तापमान 30 डिग्री से 34 डिग्री सेंटीग्रेड एवं शीत ऋतु में 12 डिग्री से 15 डिग्री सेंटीग्रेड तक।
- घनी प्राकृतिक वनस्पति।
- मानसूनी पतझड़ वन एवं सवाना तुल्य घास के मैदानों के समान।
2.BShw(या अर्ध शुष्क स्टे्प्पी) जलवायु प्रदेश
- अर्ध शुष्क मरुस्थलीय बाड़मेर जालौर जोधपुर नागौर चूरू सीकर झुंझुनू आदि जिले।
- वार्षिक वर्षा 20-40 सेमी ग्रीष्म ऋतु में 32° से 35° एवं शीत ऋतु में 5°से10° सेंटीग्रेड।
- कांटेदार झाड़ियां एवं घास मुख्यत स्टेपी प्रकार की वनस्पति।
3.BWhw (या उष्णकटिबंधीय शुष्क) जलवायु प्रदेश:
- उत्तरी पश्चिमी जोधपुर जिला, पश्चिमी बाड़मेर, जैसलमेर, पश्चिमी बीकानेर एवं गंगानगर जिले का दक्षिणी पश्चिमी भाग।
- यह विशाल शुष्क मरुस्थलीय भाग है।
- वर्षा का वार्षिक औसत 10से20 सेमी तथा तापमान ग्रीष्म ऋतु में 35° सेंटीग्रेड अधिक तथा सर्दी में 12° से 18° सेंटीग्रेड।
- क्षेत्र की जलवायु कठोर शुष्क है।
- इस प्रदेश में वाष्पीकरण की दर तीव्र होती है।
- यह जलवायु प्रदेश वनस्पति विहीन, बालुका स्तूप से ढका हुआ तथा आद्रता जल की कमी का क्षेत्र है
4.Cwg(या उप अद्र्) जलवायु प्रदेश
- अरावली पर्वतमाला के दक्षिणी पूर्वी एवं पूर्वी भाग जैसे जयपुर जिले का कुछ भग, अलवर भरतपुर सवाई माधोपुर दौसा करौली कोटा आदि जिले हैं।
- इस जलवायु प्रदेश में वार्षिक वर्षा का औसत 60- 80 सेमी रहता है। ग्रीष्म ऋतु में तापमान 32°- 38° सेंटीग्रेड तथा शीत ऋतु में 14°-16° सेंटीग्रेड।
- क्षेत्र में चंबल के बीहड़ पाए जाते हैं।