राजस्थान का खनिजों की दृष्टि से झारखंड के पश्चात दूसरा स्थान है |
खनन क्षेत्र से होने वाली आय की दृष्टि से राजस्थान का देश में चौथा स्थान है |
जेस्पार, तांमडा, वूलेस्टोनाईट और पन्ना का राजस्थान देश का एकमात्र उत्पादक राज्य है |
जिप्सम : इसे सेलखड़ी, हरसौंठ, खड़िया के नाम से जाना जाता है राजस्थान का प्रथम स्थान है |
राजस्थान में लिग्नाइट एवं प्राकृतिक गैस सहित 67 खनिजों का दोहन किया जाता है | इनमें 44 प्रकार के प्रधान और 23 प्रकार के गौण खनिजों का खनन कार्य होता है | इस कारण राजस्थान को खनिजों का अजायबघर कहा जाता है |
यदि खनिज का धरातल चिकना और चमकीला हो तो यह धात्विक होता है | जैसे तांबा, जस्ता, लोहा आदि |
अधात्विक खनिज ताप के सुचालक होते हैं |
यदि खनिज का धरातल चमक से रहित हो जिन्हें परिष्कृत नहीं किया जा सकता तो यह अधात्विक खनिज होते हैं, जैसे : जिप्सम, रॉक-फास्फेट, अभ्रक आदि |
भारत की कुल खनिज उत्पादन का 560% राजस्थान से प्राप्त होता है इस दृष्टि से देश में राजस्थान का पांचवा स्थान आता है |
वर्तमान में राजस्थान वूलेस्टोनाईट, तांबडा और पन्ना का एकमात्र उत्पादक राज्य है|
धात्विक खनिज
जस्ता :
भूगर्भ में जस्ता, सीसा, चांदी, तांबा, गंधक का तेजाब के साथ मिश्रित रूप में पाया जाता है |
राजस्थान का भारत में जस्ता उत्पादन में लगभग एकाधिकार है |
यहां भारत का 90% जस्ता प्राप्त होता है |
जस्ता लोहे को जंग से बचाने के लिए पॉलिश करने रसायन उद्योगों में काम आता है |
उसके अतिरिक्त इसका उपयोग रंग रोगन बनाने, बिजली के सेल बनाने, मोटर के पुर्जे बनाने, दवाइयों आदि में भी काम होता है |
राज्य में सीसा जस्ता अयस्क के 3330 लाख टन के भंडार हैं
राजस्थान में जस्ता खनन क्षेत्र :
जवार मोचिया मगर क्षेत्र
गुलाबपुरा-आगुचा क्षेत्र
अन्य क्षेत्र (बांसवाडा में बारडलिया, सवाईमाधोपुर में चौथ का बरवाडा, अलवर जिले में गुढा-किशोरीदास क्षेत्र आदि में जस्ता खनन किया जाता है |
टंगस्टन :
राजस्थान में टंगस्टन वुल्फ्रेमाइट अयस्क से प्राप्त होता है |
यह भारी, कठोर और उच्च द्रवणांक वाली धातु है |
यह उच्च ताप पर भी नहीं पिघलती, विद्युत की सुचालक होने से विद्युत बल्बों में फिलामेंट इसी धातु से बनाए जाते हैं |
इस धातु से रडार, भारी बंदूकों की नालियांम, टैंक भेदी यंत्र, जेट इंजन के कल पुर्जे, प्रक्षेपास्त्र आदि बनाए जाते हैं, इस कारण यह सामरिक महत्व का खनिज है |
इनके अतिरिक्त एक्स-रे रेडियो व टेलीविजन उपकरणों, विद्युत संयंत्रों, रंगाई छपाई उद्योगों में भी होता है |
टंगस्टन के निक्षेप मुख्यतः ग्रेनाइट व पेगमाटाइट के साथ पाए जाते हैं|
राजस्थान में टंग्स्टन का वितरण :
नागौर जिले के डेगाना में
सिरोही जिले के बाल्दा क्षेत्र में
डूंगरपुर जिले के अमरतिया में
उदयपुर जिले के कुण में
पाली जिले के बराठिया व
अजमेर जिले के लादेरा-साकुण क्षेत्र में टंग्स्टन के जमाव पाए जाते हैं |
चांदी :
राजस्थान में चांदी के उत्पादक क्षेत्र उदयपुर के पास सीसा-जस्ता की जावर खदानें एवम जावरमाला की पहाड़ियां आदि है |
हिंदुस्तान जस्ता शोधन संयंत्र से सीसा-जस्ता व तांबा के मिश्रण से चांदी को निकाला जाता है |
तांबा:
तांबा राजस्थान में ताम्र युगीन काल से ही निकाला एवं शोध किया जाता रहा है |
अलौह धातुओं में तांबा सबसे महत्वपूर्ण है |
यह अधिकतर आग्नेय व कायांतरित शैलो से प्राप्त होता है |
इसका रंग लाल भूरा है, तांबा बहुत लचीला एवं विद्युत का उत्तम सुचालक होने के कारण देश का प्रमुख खनिज है |
सामान्यतः तांबे की कुल मात्रा का 40% बिजली के यंत्रों, 15% तारों, और 45% अन्य धातुओं के साथ मिलाकर सैनिक कार्य, बर्तन आदि में उपयोग में लाया जाता है |
तांबा उत्पादन की दृष्टि से राज्य का देश में द्वितीय स्थान है |
राज्य में तांबे का शोधन खेतड़ी में हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के द्वारा किया जाता है | जहां प्रतिवर्ष 31000 टन तांबे का शोधन किया जाता है |
राजस्थान मेंतांबा उत्पादन क्षेत्र :
खेतड़ी सिंघाना क्षेत्र
नीमकाथाना क्षेत्र
खो दरीबा क्षेत्र
संगमरमर:
राजस्थान में अच्छे किस्म के संगमरमर के 11 100 मिलियन टन के भंडार है |
राजस्थान में संगमरमर के 3710 खनन पट्टे हैं |
राज्य में संगमरमर के सर्वाधिक खनन पट्टे राजसमंद जिले (1727) में है |
राज्य में संगमरमर के उत्पादन की दृष्टि से राजसमंद जिला प्रथम स्थान पर उदयपुर जिले का हरे संगमरमर के उत्पादन में प्रथम स्थान हैं|
राजस्थान में संगमरमर का वितरण : (नागौर राजसमंद उदयपुर)