राजस्थान के प्रमुख त्योहार | Rajasthan art and culture notes
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राजस्थान के प्रमुख त्योहार | राजस्थान सामान्य ज्ञान नोट्स |
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1. श्रावणी तीज या छोटी तीज :-
मुख्यतः स्त्रियों का त्यौहार है जिसमें स्त्रियों अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है| जयपुर में इस दिन “तीज माता” की सवारी निकाली जाती है| तीज के साथ ही मुख्यत त्योहार का आगमन माना जाता है जो गणगौर के साथ समाप्त होता है|
2. रक्षाबंधन (श्रावण पूर्णिमा) :-
भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक इस त्यौहार के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाइयों पर रंग-बिरंगी राखियां बांधकर रक्षा का वचन लेती है वह उनके जीवन की मंगल कामना करती है | इस दिन घर के प्रमुख द्वार के दोनों ओर श्रवण कुमार के चित्र बनाकर पूजन करते हैं इसे “नारियल पूर्णिमा” भी कहते हैं | रक्षाबंधन के दिन भारत के प्रसिद्ध तीर्थ अमरनाथ में बर्फ का शिवलिंग बनता है |
3. बड़ी तीज / सातुडी तीज / कजली तीज (भाद्र कृष्ण 3) :-
यह त्यौहार स्त्रियों द्वारा सुहाग की दीर्घायु व मंगल कामना के लिए मनाया जाता है, जिसमें स्त्रियों दिनभर निराहार रहकर रात्रि को चंद्रमा के दर्शन के अर्ध्य देकर भोजन ग्रहण करती है| इस दिन संध्या पश्चात स्त्रियां नीम की पूजा कर तीज माता की कहानी सुनती है | इस दिन सत्तू खाया जाता है
4. बूढ़ी तीज (भाद्र कृष्णा 3) :-
इस दिन व्रत रखकर गायों का पूजन करते हैं 7 गायों के लिए आटे की साथ लोई बनाकर उन्हें खिलाकर ही भोजन ग्रहण किया जाता है
5. हल षष्ठी (भाद्रपद कृष्णा 6) :-
यह त्यौहार कृष्ण भगवान के ज्येष्ठ भ्राता श्री बलराम जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है | इस दिन हल्की पूजा की जाती है वह गाय के दूध और दही का सेवन नहीं किया जाता है | इस व्रत को पुत्रवती स्त्रियां करती हैं
6. ऊब छठ (भाद्र कृष्णा 6) :-
इस दिन उपवास किया जाता है सायाकाल को स्नान करके सूर्य भगवान के चंदन व पुष्प से पूजा कर अरध्य दिया जाता है | तत्पश्चात चंद्रोदय तक खड़े ही रहते हैं चंद्रोदय के पश्चात चंद्रमा को अर्ध्य देकर पूजा कर व्रत खोलते हैं इस व्रत को चंदन षष्ठी व्रत भी कहा जाता है
7. कृष्ण जन्माष्टमी (भाद्रपद कृष्णा 8) :-
इससे कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है इस दिन मंदिरों में श्री कृष्ण के जीवन से संबंधित झांकियां सजाई जाती है| पूरे दिन उपवास के बाद रात के 12:00 बजे श्री कृष्ण जन्म होने पर श्री कृष्ण की आरती व विशेष पूजा अर्चना करके भोजन किया जाता है
8. गोगा नवमी (भाद्रपद कृष्णा 9) :–
इस दिन लोक देवता गोगाजी की पूजा की जाती है | हनुमानगढ़ जिले में गोगामेडी नामक स्थान पर मेला भरता है |
9. बछबारस (भाद्रपद कृष्ण 12) :-
इस दिन पुत्रवती स्त्रियां पुत्र की मंगल कामना के लिए व्रत करती है इस दिन गेहूं, जो और गाय के दूध से बनी वस्तुओं का प्रयोग नहीं किया जाता है तथा अंकुरित चने, मटर, मोठ व मूंग युक्त भोजन किया जाता है इस दिन गाय व बछड़ों की सेवा की जाती है|
10. सतीयाँ अमावस :-
भादवा बदी अमावस्या को सतीयाँ की अमावस कहते हैं |
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