नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से आपको राजस्थान सामान्य ज्ञान का महत्वपूर्ण टॉपिक राजस्थान के प्रमुख मन्दिर के बारे में बताने वाला हूँ | इस पोस्ट में राजस्थान के प्रमुख मन्दिर के टॉपिक को बहुत अच्छे से समझाया है |
राजस्थान के प्रमुख मन्दिर | राजस्थान सामान्य ज्ञान
राजस्थान के प्रमुख मंदिर नोट्स |
Table of content (toc)
राजस्थान के प्रमुख मन्दिर नोट्स :-
उषा मंदिर/ बयाना मस्जिद( भरतपुर)
- उषा मंदिर भरतपुर जिले के बयाना कस्बे में स्थित है।
- जिसका निर्माण बाणासुर ने करवाया था।
- प्रेमाख्यान पर आधारित इस मंदिर का जीर्णोद्धार गुर्जर प्रतिहार राजा लक्ष्मण सिंह की पत्नी चित्रलेखा व उसकी पुत्री मंगल राज ने 336 ई.में करवाया।
- 1224 में दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने इसे मस्जिद में बदल दिया ,तभी से यह मंदिर उषा मस्जिद के नाम से जाना जाता है।
एकलिंग जी का मंदिर( उदयपुर)
- उदयपुर के उत्तर में स्थित नागदा( कैलाशपुरी) नामक स्थान पर एकलिंग जी का प्रसिद्ध शिव मंदिर है।
- इस मंदिर का निर्माण बप्पा रावल ने करवाया था।
- मेवाड़ के महाराणा ओं के इष्टदेव व कुलदेवता है।
- मेवाड़ के महाराणा इन्हें ही मेवाड़ राज्य का वास्तविक शासक मानते थे तथा स्वयं को उनका दीवान कहलाना पसंद करते थे।
- यह मंदिर राज्य में पाशुपात संप्रदाय का सबसे प्रमुख स्थल भी है।
अंबिका देवी का मंदिर
- जगत( उदयपुर) में स्थित अंबिका देवी के मंदिर में नृत्य करते हुए गणेश जी की विशाल प्रतिमा स्थापित है।
- मंदिर को मेवाड़ का “खजुराहो” कहते हैं।
सास बहू का मंदिर , नागदा( उदयपुर)
- मेवाड़ की प्राचीन राजधानी नागदा में स्थित सस्त्रबाहु ( भगवान विष्णु) का है, लेकिन अपभ्रंश होते होते इसका नाम सास बहू का मंदिर हो गया।
मेवाड़ का अमरनाथ, गुक्तेश्वर मंदिर
- उदयपुर जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर तितरडी एकलिंगपुरा के बीच हाडा पर्वत स्थित गुप्तेश्वर महादेव का मंदिर है, गिरवा के अमरनाथ के नाम से जाना जाता है।
- इसको मेवाड़ का अमरनाथ भी कहा जाता है।
कंसुआ का शिव मंदिर( कोटा)
- कंसुआ का शिव मंदिर कोटा शहर में स्थित है।
- यहां एक ऐसा शिवलिंग भी है जो 1008 मुखी है।
- पाटन पोल( कोटा) में भगवान मथुराधीश का मंदिर है जो भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है।
- मंदिर की स्थापना वल्लभ संप्रदाय के संस्थापक वल्लभाचार्य के पुत्र विट्ठलनाथजी द्वारा की गई थी।
- जिसके कारण यह है मंदिर वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल है।
विभीषण मंदिर, केथुन ( कोटा)
- देश का एकमात्र विभीषण मंदिर कोटा जिले के कैथून कस्बे में स्थित है।
- इस मूर्ति के धड़ नहीं है। मंदिर में केवल विभीषण मूर्ति के शीश की पूजा राम भक्त मानकर की जाती है।
गेपरनाथ महादेव( कोटा)
- कोटा में स्थित गेपरनाथ महादेव का मंदिर जो जमीन की सतह से लगभग 300 फुट नीचे गर्भ में स्थित है।
- कोलायत, बीकानेर संख्या दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का तीर्थ स्थल है।
- यहां स्थित सरोवर के किनारे 52 घाट पर पांच मंदिर बने हुए हैं।
- यहां भरने वाला मेला कोलायत जी का मेला जांगल प्रदेश का सबसे बड़ा मेला है।
हेरंब गणपति( बीकानेर)
- हेरंब गणपति मंदिर का निर्माण बीकानेर शासक अनूप सिंह ने करवाया था।
- इस अद्भुत मूर्ति की एक विलक्षण बात यह भी है मूषक पर सवार ने होकर सिंह पर सवार है।
- यह स्थान बाड़मेर तहसील के हाथमा गांव के पास स्थित हल्देश्वर पहाड़ी के नीचे स्थित है।
- शिल्पकला के लिए विख्यात यह मंदिर मूर्तियों का खजाना कहलाता है।
- यह मंदिर राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है।
- हल्देश्वर महादेव पीपलुद( मारवाड़ का लघु माउंट आबू) गांव( बाड़मेर) के समीप छपनकी पहाड़ियों में स्थित है।
- धोरीमन्ना पंचायत समिति मुख्यालय( बाड़मेर) की पहाड़ी पर आलम जी का मंदिर बना हुआ है।
- यह स्थल घोड़ों का तीर्थ स्थल के उपनाम से प्रसिद्ध है।
ब्रह्मा जी का दूसरा मंदिर, आसोतरा (बाड़मेर)
- आसोतरा बाड़मेर में स्थित ब्रह्मा जी के मंदिर का निर्माण खेताराम जी महाराज द्वारा 1983 में करवाया गया।
- सीकर जिले के खाटू गांव में खाटू श्याम जी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।
- यहां एक शिलालेख के अनुसार 1720 में अजमेर के राजराजेश्वर अजीत सिंह सिसोदिया के पुत्र अभय सिंह ने वर्तमान में खाटू श्याम मंदिर की नींव रखी।
सप्त गौ माता मंदिर (सीकर)
- रैवासा सीकर में स्थापित शब्द गौ माता का मंदिर राजस्थान का प्रथम मंदिर है और भारत का चोथा गौ माता मंदिर माना जाता है।
- त्रिनेत्र गणेश जी का मंदिर रणथंभौर दुर्ग( सवाई माधोपुर) में स्थित है।
- यहां पर स्थित गणेश जी विश्व में एकमात्र त्रिनेत्र गणेश जी हैं।
- भारत में सर्वाधिक विवाह निमंत्रण पत्र यहीं पर आते है।
घुशमेश्वर महादेव,शिवाड़ ( सवाई माधोपुर)
- शिवाड़ा गांव सवाई माधोपुर में भगवान शिव का 12वा ज्योतिर्लिंग स्थापित है
- यह शिवाड़ प्राचीन काल में शिवालय के नाम से जाना जाता था।
कालाजी गोराजी का मंदिर( सवाई माधोपुर)
- यह मूर्ति लटकती सी प्रतीत होती है, इसी कारण इसे झूलता भेरुजी का मंदिर भी कहते हैं।
श्री गोविंद देव जी, जयपुर
- भगवान श्री कृष्ण के प्रपोत्र राजा ब्रजनाथ ने अपनी दादी के बताए अनुसार भगवान श्री कृष्ण के 3 विग्रहों का निर्माण करवाया था।
- पहले यह तीनों विग्रह में ही स्थापित थे लेकिन महमूद गजनबी के आक्रमण के समय में भूमि में दबा दिए गए थे।
- 1722 में सवाई जयसिंह ने श्री गोविंद देव जी को अपने निवास चंद्र महल, सिटी पैलेस के निकट उद्यान में बने सूर्य महल में स्थापित किया।
राजेश्वर शिवालय, जयपुर
- मोतीडूंगरी ,जयपुर इसका निर्माण निर्माण 1864 में नरेश राम सिंह द्वारा करवाया गया था।
जगत शिरोमणि मंदिर या मीरा मंदिर (आमेर) जयपुर
- इस मंदिर का निर्माण नरेश मानसिंह प्रथम की पत्नी अपने पुत्र जगत सिंह की याद में करवाया था।
गलता जी (जयपुर)
- यहां प्राचीन समय में गालव ऋषि का आश्रम था। यहां गालव ऋषि का आश्रम होने के कारण कालांतर में गलताजी कहा जाने लगा।
- इस मंदिर को उत्तर भारत का तोतत्री कहा जाता था। मैं से जयपुर का बनारस कहा जाता है।
- इसलिए जयपुर को राजस्थान की दूसरी छोटी काशी के नाम उपनाम से भी जाना जाता है।
- बंदरों की अत्यधिक मात्रा के कारण है यह मंकी वैली भी कहलाती है।
चारभुजा नाथ मंदिर, गढ़बोर (राजसमंद)
- श्री चारभुजा नाथ जी का मंदिर मेवाड़ के चार प्राचीन धामो में गिना जाता है।
- यहां चार भुजाओं वाली प्रतिमा पांडवों द्वारा भी पूजी गई थी।
- इसे मेवाड़ का वारिनाथ भी कहते हैं।
द्वारिकाधीश मंदिर (राजसमंद)
- यह मंदिर वल्लभ,( पुष्टिमार्ग) संप्रदाय का मंदिर है।
- वर्तमान में यह मंदिर राजसमंद झील के तट पर स्थित है।
झालरापाटन का सूर्य मंदिर( झालावाड़)
- झालरापाटन शहर के बीच खजुराहो शैली में बने इस मंदिर को शैलियों का पदम नाथ मंदिर भी कहा जाता है।
- कर्नल टॉड ने इसे चारभुजा मंदिर कहां है
शितलेश्चर महादेव मंदिर, झालरापाटन ,झालावाड
- झालावाड़ जिले में चंद्रभगा नदी के तट पर स्थित शितलेश्चर मंदिर 689 ई.. में महामारु शैली में निर्मित है।
- यह मंदिर राज्य में स्थित तिथि और अंकित मंदिरों में सबसे अधिक प्राचीन है।
- अर्धनारीश्वर( आधा शरीर शिव का तथा शरीर उमा) का प्रतीत होता है
बडोली का शिव मंदिर/ घटेश्वर महादेव (चित्तौड़गढ़)
- बडोली का प्रसिद्ध आठवीं शताब्दी में निर्मित शिव मंदिर चित्तौड़गढ़ जिले के भैंसरोडगढ़ कस्बे के पास स्थित है।
मीराबाई का मंदिर (चित्तौड़गढ़)
- इस मंदिर का निर्माण महाराणा सांगा ने अपनी पुत्रवधू मीरा भक्ति के लिए महल के रूप में करवाया था।
- मंदिर के सामने मीरा के गुरु रैदास की छतरी स्थित है।
समिदेश्चरर महादेव मंदिर (चित्तौड़गढ़)
- इस मंदिर का निर्माण मालवा की पराक्रमी परमार नरेश राजा भोज 1011-55 ई. ने करवाया था।
- महाराणा मोकल नहीं इसका जीर्णोद्धार करवाया था इसी कारण इस मंदिर को मोकल जी का मंदिर भी कहा जाता है।
सांवलिया सेठ का मंदिर( चित्तौड़गढ़)
- श्री सांवरिया सेठ जी का मंदिर मंडफिया गांव( चित्तौड़गढ़) में स्थित है।
- जिसे अफीम मंदिर के नाम से जानते हैं इस मंदिर में श्री कृष्ण भगवान की काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है।
- यहां जलझूलनी एकादशी को विशाल मेला भरता है।
मातृकुंडिया, चित्तौड़गढ़
- मातृकुंडिया ,चित्तौड़गढ़ में चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित मातृकुंडिया तीर्थ स्थल राजस्थान का हरिद्वार के नाम से जाना जाता है।
- यहां पर स्थित कुंड के पवित्र जल में मृत व्यक्ति की अस्थियां विसर्जित की जाती है तथा हरिद्वार की तरह यहां भी लक्ष्मण झूला लगा हुआ है।
ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर (अजमेर)
- ब्रह्मा जी का सबसे अधिक प्राचीन मंदिर पुष्कर, स्थित है।
- जहां पर विधिवत रूप से पूजा की जाती है।
- इस मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा कराया गया था तथा इस मंदिर को वर्तमान स्वरूप 1809 ई. में गोकुल चंद पारीक ने दिया।
- इस मंदिर में ब्रह्मा जी की आदम कद की चतुर्मुखी मूर्ति प्रतिष्ठित है। ब्रह्मा मंदिर होने के कारण पुष्कर ब्रह्मा नगरी भी कहलाता है।
सावित्री मंदिर पुष्कर, अजमेर
- पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर के पीछे एक पहाड़ी पर पत्नी का मंदिर है।
- इस मंदिर में 3 मई 2016 को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने रोपवे का उद्घाटन किया।
वराहमंदिर पुष्कर, अजमेर
- मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान के पितामह अर्णोराज राज ने करवाया था।
भंड देवरा शिव मंदिर/ हाड़ोती का खजुराहो(बारां)
- दसवीं शताब्दी में इसका निर्माण मेदवंशिए राजा मलिया वर्मा द्वारा करवाया गया था।
- देवालय में उत्कीर्ण मूर्ति कला की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- जिनमें मिथुन मुद्रा में अनेक आकृतियां अंकित की गई है।
यह राजस्थान का मिनी खजुराहो भी कहा जाता है।
ब्रह्माणी माता का मंदिर(बारां)
- सौरसेन(बारां) में ब्राह्मणी माता का मंदिर स्थित है जो भारत में एकमात्र एक ऐसा मंदिर है जिसमें देवी के मूर्ति के आगे की पूजा न करके उसके पीठ की पूजा की जाती है।
फुल देवरा का शिवालय(बारां)
- अटरू , बारां में स्थित शिवालय के निर्माण में सोने का प्रयोग नहीं किया गया।
- मंदिर को मामा भांजा का मंदिर भी कहते हैं।
सालासर हनुमान मंदिर, सुजानगढ़ (चुरु)
- यहां स्थित हनुमान मूर्ति में केवल शीश की पूजा की जाती है।
- सालासर हनुमान का विग्रह स्वर्ण शासन पर विराजमान है इसकी मुखाकृति पर दाढ़ी मूछ है।
गोगाजी का मंदिर ,ददरेवा( चूरू)
- ददरेवा , चुरु में का शीश आकर गिरा था। इसी कारण इसे शीश मेडी भी कहते हैं।
- गोगाजी की याद में यहां पर मंदिर बनाया गया, जहां प्रतिवर्ष भाद्रपद कृष्णा नवमी को मेला भरता है।
भृतहरि मंदिर, सरिस्का (अलवर)
- उज्जैन के राजा और महान योगी भृतहरि ने जीवन के अंतिम दिनों में सरिस्का को ही अपनी तपोस्थली बनाया था और यही समाधि ली थी।
- इसे कनफेट साधुओं का कुंभी कहते हैं।
पांडुपोल हनुमान जी का मंदिर( अलवर)
- भृतहरि, अलवर से कुछ दूरी पर पांडुपोल में लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर स्थित है।
बुड्ढे जगन्नाथ जी का मंदिर, अलवर
- जान का सबसे बड़ा आकर्षण हिंदुओं के चार धामों में से एक उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी की तरह की यात्रा है। जो प्रतिवर्ष बडलिया नवमी को शुरू होती है।
घोटिया अंबा, बांसवाड़ा
- महाभारत के अनुसार, पांडवों ने श्री कृष्ण की सहायता से 88000 राशियों को भोजन कराया था।
- घोटिया अंबा स्थल प्रतिवर्ष चेत्र अमावस्या को मेला लगता है।
छिंछ का ब्रह्मा मंदिर( बांसवाड़ा)
- राज्य में पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर के बारे में कहा जाता है, के वह विश्व का एकमात्र मंदिर है।
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर( बांसवाड़ा)
- तलवाड़ा( बांसवाड़ा) के समीप पांचाल जाति की कुलदेवी त्रिपुरा सुंदरी का भव्य मंदिर स्थित है।
- जिसकी पिठिका के मध्य में श्री यंत्र अंकित है।
- त्रिपुरा सुंदरी को ही हम तुरताय माता/ मां लक्ष्मी के नाम से भी जानते हैं।
- यह वसुंधरा राजे की आराध्य देवी है।
बेणेश्वर महादेव धाम, डूंगरपुर
- बेणेश्वर महादेव मंदिर नवाटपुरा गांव, डूंगरपुर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूरी पर सोम, माही, जाखम तीनों नदियों के संगम पर स्थित है।
- इस मंदिर में स्थित शिवलिंग की विशेषता यह है कि यह स्वयं भू शिवलिंग है जो खंडित अवस्था में है और यहां खंडित शिवलिंग की पूजा होती है।
- इस मेले को भीलो का कुंभ, आदिवासियों का कुंभ, वागड़ का कुंभ आदि नामों से जाना जाता है।
- इस त्रिवेणी संगम पर आदिवासी अपने पूर्वजों की अस्थियों को प्रवाहित करते हैं।
गवरी बाई का मंदिर
- डूंगरपुर में स्थित गवरी बाई के प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण शिव सिंह ने करवाया।
- इसी गवरी बाई को हम वागड़ की मीरा के नाम से भी जानते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (दोसा)
- दोसा व करौली जिले की सीमा पर स्थित मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर एक गर्भ ग्रह में स्थित मूर्ति कलाकार द्वारा गडकर नहीं लगाई गई है, बल्कि की यह मूर्ति पर्वत का ही एक अंग है|
- यहां प्रेतराज सरकार व भैरव जी के मंदिर भी स्थित है।
- यहां पर भूत प्रेत की बाधाएं, मिर्गी, पागलपन आदि रोग श्री बालाजी महाराज की कृपा से दूर हो जाते हैं।
आभानेरी( दोसा)
- पंचायतन शैली में बने हर्षद माता के मंदिर के लिए आभानेरी है, परंतु ही यह मूलत विष्णु भगवान का मंदिर है विष्णु की मूर्ति एवं कृष्ण और रुक्मणी के पुत्र प्रद्युमन की मूर्ति स्थापित है।
लोहागर्ल (झुंझुनू)
- झुंझुनू जिले के लोहागर्ल नमक पवित्र स्थान मालकेतु पर्वत की घाटी में स्थित है।
- चौबीस कोसी परिक्रमा भाद्रपद माह में श्री कृष्ण जन्माष्टमी से अमावस्या तक होती है।
यह परिक्रमा मालखेत जी की परिक्रमा भी कहलाती है।
रघुनाथ जी का मंदिर (झुंझुनू)
- रघुनाथ जी चुंडावत जी का मंदिर का विशाल एवं प्रसिद्ध मंदिर है।
- इस मंदिर का निर्माण राजा बख्तावर की पत्नी चुंडावत ने 150 वर्ष पूर्व करवाया था।
- इस मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित श्रीराम व लक्ष्मण की प्रतिमा मूछों वाली है।
सिरे मंदिर (जालौर)
- जालौर दुर्ग की निकटवर्ती पहाड़ियों में स्थित सिरे मंदिर संप्रदाय के प्रसिद्ध ऋषि जालंधर नाथ की तपोभूमि है
- जहां मंदिर का निर्माण मारवाड़ रियासत के शासक राजा मान सिंह राठौड़ ने करवाया था।
- नाथ संप्रदाय के ऋषि जालंधर नाथ की तपोस्थली होने के कारण जालौर राजस्थान का जालंधर भी कहलाता है।
रावण मंदिर (जोधपुर)
- जोधपुर में उत्तरी भारत का पहला रावण मंदिर बनाया गया है।
अधरशिला रामदेव जी का मंदिर, जोधपुर
- जलोरिया का वास( जोधपुर) में स्थित अधरशिला रामदेव मंदिर, बाबा रामदेव के पग्लये पूजे जाते हैं।
- मंदिर की यह विशेषता है कि दिल का स्तंभन जमीन से आधा इंच ऊपर उठा हुआ है। इससे यह प्रतीत होता है कि यह मंदिर झूल रहा हो।
33 करोड़ देवी देवताओं के मंदिर (जोधपुर)
- मंडोर जोधपुर में 33 करोड़ देवी देवताओं का मंदिर/ गद्दी/साल स्थित है।
- इस मंदिर को वीरों की साल के नाम से भी जानते हैं
- चार भुजा मंदिर, मेड़ता सिटी (नागौर)
- भक्त शिरोमणि मीराबाई का विशाल मंदिर मेड़ता सिटी नागौर में स्थित है
- इस मंदिर को चारभुजा नाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
- जिसका निर्माण मीराबाई के दादाजी राव दूदा द्वारा करवाया गया था।
कल्याण जी का मंदिर, डिग्गी ,मालपुरा (टोंक)
- डिग्गी के कल्याण जी का मंदिर डिग्गी( मालपुरा टोंक) में स्थित है।
- मेवाड़ के महाराणा संग्राम सिंह के शासन काल में निर्मित के गर्भ गृह में भगवान विष्णु की चतुर्मुखी प्रतिमा स्थित है।
- मुस्लिम इन्हें कलहण पीर के नाम से जानते हैं।
- कल्याण जी का एक मंदिर जयपुर में भी बना हुआ है।
अचलेश्वर महादेव मंदिर, सिरोही
- इस मंदिर में शिवलिंग में होकर एक गड्ढा है, जिसे ब्रह्मा खंड कहा जाता है।
- इस स्थान पर भगवान शिव के पैर का अंगूठा प्रतीकात्मक रूप से विद्यमान है।
कुंवारी कन्या का मंदिर (सिरोही)
- मंदिर देलवाड़ा के दक्षिण में पर्वत की तलहटी में स्थित है।
- इसमें देव मूर्ति के स्थान पर दो पाषाण मूर्तियां स्थापित है।
- यह एक प्रेम प्रसंग एक मंदिर है इसी कारण इसे रसिया बालम का मंदिर भी कहा जाता है।
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