लोकदेवता बाबा रामदेवजी | राजस्थान सामान्य ज्ञान नोट्स RS Creator 18 May 2021 Study Notes PDF 1 Comment लोकदेवता बाबा रामदेवजी लोकदेवता बाबा रामदेव जी, राजस्थान सामान्य ज्ञान नोट्स Govt Jobs WhatsApp Group Join Now Telegram Group Join Now Table of content (toc) बाबा रामदेव जी का सामान्य परिचय जन्मदिन : 1409 जन्मस्थान : उण्डू काश्मीर, शिव तहसील, बाड़मेर पिता : अजमल माता : मैना दे पत्नी : नेतल दे, अमरकोट पाकिस्तान निवासी सवारी : लीला घोड़ा अवतार : कृष्ण के अवतार वंश : अर्जुन जाति : राजपूत, गौत्र – तवर उपाधि : पिरो के पीर गुरु : बालीनाथ बहन : सुगना धर्म बहन : डाली भाई, जाती – मेघवाल बाबा रामदेवजी के प्रमुख कार्य व महत्वपूर्ण बिंदु : रामदेव जी ने मारवाड़ क्षेत्र में भैरव राक्षस का वध कर कर आंतक का कोफ से आजाद करवाया | रामदेव जी ने पंच पिपली नामक स्थान पर मक्का के पांच पीरों को चमत्कार दिखाया | रामदेव जी निम्न वर्ग के उत्थान हेतु कामङिया पंथ की स्थापना की छुआछूत को समाप्त किया रामदेव जी ने कुष्ठ रोग का निवारण किया एकमात्र ऐसे लोक देवता जिन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध किया इस कारण इसके पगल्ये पूजे जाते हैं रामदेव जी का प्रमुख ग्रंथ 24 बानिया है इसे बाबारी पर्ची कहा जाता है रामदेव जी की बहन सुगना का विवाह पूगल गढ़ निवासी विजय सिंह के साथ हुआ इस विवाह में रामदेव जी ने पोकरण विवाह में दिया रामदेव जी ने रुणिचा शहर की स्थापना की रुणिचा में राम सरोवर का निर्माण रामदेव जी ने करवाया इसका जीर्णोद्धार बीकानेर के शासक गंगा सिंह ने करवाया राम सरोवर के किनारे पर्चा बावड़ी स्थित है रामदेव के भाई का नाम बिरमदेव था जिसे बलराम का अवतार माना जाता है भारत का मिनी रामदेवरा या छोटा रामदेवरा जूनागढ़ गुजरात को कहा जाता है राजस्थान का मिनी रामदेवरा खुंडियास अजमेर में स्थित है बाबा रामदेवजी से संबधित महत्वपूर्ण शब्दवाली : आंण : रामदेव जी की कसम को आंण कहा जाता है पातरे : रामदेव की फुलड़ीया या काला धागा को पातरे कहा जाता है जातरक : रामदेव के पैदल यात्री को जातरक कहा जाता है बादली : रामदेव के पैदल यात्रियों द्वारा लगाए गए जयकारा को बादली कहा जाता है ताख : पगले रखने के स्थान को ताख या आलिया कहते हैं, पीले पत्थरों से निर्मित होते हैं नेज्जा : धज्जा (पंचरंगी) जम्मा : जागरण को जम्मा कहा जाता है रिखिया : कलाकार (रामदेव का मेघवाल जाति का भगत भी रिखिया कहलाता है) ब्यावले : गीत देवरा : छोटा मंदिर घोड़ले : कपडे के घोड़े रामदेव जी के और भी प्रमुख पूजा स्थल बिरांटिया (पाली) सुरता खेड़ा (चित्तौड़गढ़) कठौती (नागौर) अधर रामदेव जी – मसूरिया पहाड़ी ( जोधपुर) रामदेव जी ने भाद्रपद शुक्ल एकादशी 1462 में राम सरोवर के किनारे रुणिचा में जीवित समाधि ली रुणिचा में प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल द्वितीय से लेकर 11 तक मेला आयोजित होता है जिसे मारवाड़ का कुंभ कहा जाता है रामदेव जी से 1 दिन पहले भाद्रपद शुक्ल दशमी को डाली बाई ने जीवित समाधि ली रामदेव जी की राजस्थान के बाहर सर्वाधिक मान्यता गुजरात में है रामदेव जी के मेले में आकर्षण का मुख्य केंद्र तेरहताली होता है यह नृत्य कामङिया पंथ के महिलाओं द्वारा बैठकर किया जाता है लोक देवता रामदेव की पड़ का वाचन करते समय रावण हत्था वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है
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